Machine Rule by BLOGGER LOKENDRA MANI MISHRA ‘DEEPAK’
ये युग मशीनों का है!
मशीनों ने इंसान को भी मशीन बना दिया है
कुछ लोग कहते मशीनों ने ज़िन्दगी को हसीन बना दिया है
मशीन दोस्त हैं हमारे, भूलकर भी मत सोचना
जरा सी चूक हो जाए फिर देखना ।
सारी इंजीनियरिंग धरी रह जाती है
और मशीन की थ्योरी किताबों में पड़ी रह जाती है।
मैं मशीनों का विरोधी नहीं हूँ और कहना यही चाहता हूँ
कि मैं मशीन बनकर जीना नहीं चाहता हूँ।
मशीन हमे चाँद पर ले जा सकते हैं
हमें मंगल पर पानी दिला सकते हैं।
मगर मेरे दोस्त, मशीन बिल्कुल बेशऊर हैं
वे हमारी भावनाओं से बहुत दूर हैं।
हम मशीनों को उँगलियों पर नचाते हैं
जब चाहे जो चाहे कर के दिखाते हैं।
ये युग मशीनों का है, हमे मानना होगा
पर मशीनों से पहले खुद को जानना होगा
http://lokendradeepak.blogspot.in/2016/11/blog-post_17.html?m=1
-लोकेन्द्र मणि मिश्र “दीपक”
S/o श्री सिद्धेश्वर मिश्रा
Contact: +9169041691
Department of Mechanical Engineering
AIMT LUCKNOW
Published contents: कदमों के निशान, गीतिकालोक, काव्योदय-2 ( सभी साँझा काव्य संग्रह)
एवं कंचनमेधा आध्यात्मिक पत्रिका, भोजपुरी पंचायत , आखर सहित हिंदी और भोजपुरी की पत्र पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित।
सम्मान : “गीतिका श्री” सम्मान अखिल भारतीय गीतिका समारोह सुल्तानपुर में
Co -Editor at Kanchanmedha aadhyatmik patrika.
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