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क्या होगा यदि आपसे यह कहा जाये की आप जितना चाहें उतना माँस खा सकते हैं वो भी बिना किसी डर के?? जितना चाहे उतना चमड़ा उपयोग कर सकते हैं एवम अन्य सभी प्रकार के पशु उत्पादों का उपभोग कर सकते हैं वो भी बिना किसी पशु की हत्या किये बिना ??

जाहिर है की आप सभी यह सुन के खुश हो जायेंगे और अपने सभी मित्रो एवम साथियो को यह भी कह सकेंगे की वे अब अपने पशुयों के केस छोड़ सकते हैं क्योंकि अब आने वाले समय में और अधिक पशुयों एवम उनके चाहने वालो के साथ ऐसा नही होगा !!

लेकिन यह कैसे संभव है ?? यह सुन के आप चौके नही ??

नहीं, यह कोई जादू नही है !!!

बल्कि इसी धारणा पर वैज्ञानिक एक अनुसन्धान कर रहे हैं जो की आधुनिक मीडोज द्वारा किया जा रहा है ! जिसमे की जैव निर्माण की सहायता से पशु उत्पादों का निर्माण शुरू कर दिया गया है ! इस अनुसन्धान में वैज्ञानिक, पशुयों की बायोप्सी नमूना लेके फिर उससे कृत्रिम माँस बनाने की कोशिश कर रहे है !

“इसमें तो कोई पाप नही है ” !!
इन कृत्रिम पशु उत्पादों का उपभोग हर वह मांसाहारी या शाकाहारी कर सकता है जो कभी यह सोच कर नही कर सका की पशु या जीव हत्या एक पाप है !

अतः यह सिर्फ माँस खाने या पशु उत्पादों का उपभोग करने के बारे में नहीं है बल्कि उस प्रयास के बारे में है जिससे की हम उन जीवित एवम बेजुबान पशुयों की हत्या पर रोक लगा सकें !

क्या यह सब जानने के बाद आप इसका उपभोग करना चाहेंगे ??

-अस्मिता त्रिपाठी

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